पिछली बार से 2019 लोकसभा चुनावों में 26 प्रतिशत अधिक दागी एमपी बने हैं। पांच
साल पहले यानी 2014 में 185 दागी चेहरे जीते थे, लेकिन इस बार ये संख्या 233 हो गई है यानी ये बढ़कर 43 प्रतिशत हो गए हैं, जबकि 2009 में लोकसभा पहुंचे दागी सांसदों के मुकाबले ये 44 प्रतिशत ज्यादा हैं। इसकी वजह किसी अपराध में आरोपी होने पर प्रत्याशी की जीत की उम्मीदें 15.5 प्रतिशत रह गयी हैं, जबकि बेहतर छवि वाले उम्मीदवार की जीत की गुंजाइश तीन गुना कम यानी 4.7 प्रतिशत ही रह गयी है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की नयी लोकसभा के 543 जीतने वालों की पड़ताल के आधार पर ये तस्वीर बनी है। इस रिपोर्ट में लोकसभा के तीन सदस्यों के हलफनामे शामिल नहीं किये गये हैं। बीजेपी के सांसदों में 39% दागी हैं, जबकि कांग्रेस के एक सांसद पर 204 केस हैं।
बीजेपी से सबसे ज्यादा दागी सांसद लोकसभा पहुंचे हैं। यानी पार्टी के कुल सांसदों में ये करीब 39 प्रतिशत हैं। बड़े अपराधों के आरोपी सांसद बीजेपी से 87, कांग्रेस से 19, जेडीयू से 8, वाईएसआरसीपी से 8, डीएमके से 6, शिवसेना से 5 और तृणमूल से 4 केbनाम सामने आये हैं।
अगर पार्टियों पर गौर करें, तो बीजेपी से 39, कांग्रेस से 29, जेडीयू से 13, शिवसेना से 11 , तृणमूल से 13 , डीएमके से 9 , लोजपा से 6 दोषसिद्ध अपराधी भी चुने गये।
10 ऐसे भी सांसद जीते हैं, जिन्होने अपने हलफनामों में जिक्र किया है कि उन्हें किसी न किसी मामले में कोर्ट से सजा मिल चुकी है। इनमें बीजेपी के पांच, कांग्रेस से चार और वाईएसआरसीपी से एक लोकसभा मेंबर है।
पार्टी, जगह और नामों पर गौर करें तो ये तस्वीर उभरती है-
बीजेपी : धार-एमपी से छतरसिंह दरबार, बाड़मेर-राजस्थान से कैलाश चौधरी, मुंबई उत्तर-पूर्व से मनोज कोटक, डुमरियागंज-यूपी से जगदंबिका पाल और सागर एमपी से राजबहादुर सिंह
कांग्रेस : केरल के इडुक्की से डीन कुरियाकोसे, केरल के ही त्रिचूर से टीएन प्रथापन, कन्नूर से के सुधाकरन, पलक्कड़ से वीके श्रीकंदन वाईएसआरसीपी : आंध्र के अनंतपुर से तलारी रंगैयाह
पिछली बार से इस बार 47 और 15वीं लोकसभा से 83 अधिक दागदार मेंबर बने हैं। लोकसभा में इनकी मौजूदगी 2009 के मुकाबले 109 प्रतिशत और 2014 की तुलना में
42 प्रतिशत ज्यादा हुए है।