गुजरात के अहमदाबाद शहर में जगन्नाथ रथयात्रा शुरू होने वाली हैं. जिसके लिए असम के तिनसुकिया जिले से 4 हाथियों को जगन्नाथ यात्रा के दौरान शोभा यात्रा के लिए बुलाया जा रहा हैं. लेकिन असम के तिनसुकिया में विभिन्न वन प्रेमी और अन्य संगठनों ने इस पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है और अपने जिले से हाथियों को दूसरे राज्य में भेजने के लिए विरोध करना शुरू कर दिया हैं.
असम की परिवेश सुरक्षा समिति ने असम के हाथियों को अन्य राज्यों में भेजने के लिए वन कानून का उल्लघंन करना बताया हैं. परिवेश सुरक्षा समिति का कहना हैं कि हाथियों को अलग राज्य में भेजना उनके जीवन से खिलवाड़ करना हैं. परिवेश सुरक्षा समिति ने वन कानून धारा 1972 के तहत 43 उल्लघंन बताकर और इसमें एक मोटे कमीशन का खेल होने का आरोप लगाकर एक ज्ञापन असम के प्रधान वन संरक्षक को भेजा गया हैं.
इस ज्ञापन में कहा गया है कि असम की गर्मी के तापमान में और अन्य राज्य जैसे कि यूपी, बिहार और गुजरात के गर्मी के तापमान में जमीन आसमान का फर्क है. ऐसे में हाथियों को ट्रेन से भेजा जाएगा और ट्रेन यूपी, बिहार होते हुए गुजरात के अहमदाबाद तक पहुंचेगी. ऐसे में असम से गुजरात के बीच बढ़ती गर्मी का असर हाथियों पर पड़ेगा और उनकी जान जाने की संभावना है. इसलिए असम से हाथियों को गुजरात ले जाने पर विरोध किया जा रहा है.
तिनसुकिया ज़िले से जाने वाले पालतू हाथी रानी, बाबूलाल, रूप सिंह और जयतारा नामक हाथियों में शामिल हैं. जिनको एक मोटी रकम के चलते अहमदाबाद में होने वाली रथयात्रा के लिये भेजा जा रहा हैं. कहीं न कहीं यह एक तरह से पालतू हाथियों की जान के साथ खिलवाड़ करके व्यवसाय कर रहे हैं. जहां जानवरों के जीवन की कोई कीमत नही है. वहीं, वन विभाग में रहने वाले जानवर अपना दर्द बयां नहीं कर सकते. इन बेजुबान जानवरों की जीवन सुरक्षा का दायित्व वन विभाग का है और वह सभी नियमों को अलग रखकर इन बेजुबान जानवरो के जीवन से खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं.