हरियाणा के रोहतक में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान बुधवार को जहरीली गैस लीक होने की वजह से 4 लोगों की मौत हो गई. आज के समय में जहाँ भारत टेक्नोलॉजी के मामले में तरक्की कर रहा हैं, वहीं दूसरी तरफ सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए टेक्नोलॉजी का कोई इस्तेमाल नहीं किया जा रहा हैं.
रोहतक के पुलिस अधीक्षक गौरख पाल ने बताया कि सफाई कर्मचारी सेप्टिक टैंक को साफ़ करने के लिए टैंक के अंदर गए थे. टैंक में जहरीली गैस लीक हो गई. जिसकी वजह से 3 सफाई कर्मचारी और 1 कर्मचारी जिसका सम्बन्ध लोक स्वास्थ्य विभाग से था. सभी की मौत हो गई.
मृतकों की पहचान कैथल के अनिल सैनी (39), उत्तर प्रदेश के संजय कुमार (26), रोहतक के धर्मेंद्र (35) और रंजीत धानक (28) के रूप में हुई हैं.
पुलिस ने बताया कि उन्होंने मृतकों के शव को टैंक से बाहर निकाल लिया हैं और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया हैं.
ऐसा पहली बार नहीं हैं जब सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान सफाईकर्मियों की जान गई हो. इससे पहले भी गुजरात में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 7 सफाई कर्मचारियों की मौत हो गई थी.
गुजरात में सेप्टिक टैंक से जुडी कहानी पढ़े यहाँ
सफाई कर्मचारी आंदोलन के लिए काम करने वाली एक संस्था के सर्वे के मुताबिक़ 2016 से 2018 तक अकेले दिल्ली में मैनुअल स्कैवेंजिंग के कारण 429 मौतें हुई हैं.
नेशनल कमीशन फ़ॉर सफाई कर्मचारी (NCSK) के मुताबिक 1 जनवरी 2017 से हर पांच दिन में एक व्यक्ति की मौत देश भर में सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई से हुई है.
एक तरफ हमे नए भारत का सपना दिखाया जाता हैं. दूसरे तरफ देश में सेप्टिक टैंक में सफाई कर्मियों की मौत हो रही हैं. ऐसे में सरकार किसी नई तकनीकी मशीन को देश में नहीं लाती हैं तो कैसे हम बोले हमारा देश बदल रहा हैं.
रोहतक के डिप्टी कमिश्नर R.S. वर्मा ने कहा कि, हम सफाईकर्मियों को सुरक्षा उपकरण मुहैया कराने के लिए और कोशिश करेंगे. जब तक सफाई कर्मचारी को सफाई के लिए उपकरण मुहैया नहीं कराए जाएंगे तब तक क्या टैंक की सफाई के दौरान कर्मचारियों को अपनी जान गवानी पड़ेगी.
क्यों होती हैं सेप्टिक टैंक में सफाई के दौरान कर्मचारियों की मौत
सेप्टिक टैंक के अंदर कई प्रकार की गैस मौजूद होती हैं जैसेकि हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, मेथेन, कार्बन मोरॉक्साइड, सल्फर डायोक्साइड, नाइट्रोजन डायोक्साइड. इन गैस की मात्रा जब ज्यादा हो जाती हैं तो यह जहरीली गैस का रूप ले लेती हैं. जिसकी वजह से टैंक साफ़ करने के दौरान सफाईकर्मियों की मृत्यु हो जाती हैं.
साल 2012 में सफाईकर्मियों के लिए कानून बना the probhition of employement as manual scavengers act जिसके तहत
- कोई हाथ से मैला नहीं उठाएगा.
- सरकार हाथ से मैला उठाने वालों को कोई दूसरा काम देगी.
- सरकार टैंक की सफाई के सफाई कर्मियों को मास्क, ग्लव्स, शूज उपलब्ध कराएगी.
- लेकिन इस तरह की सुविधाएँ अभी तक सफाईकर्मियों को उपलब्ध नहीं हैं.