पिछले एक हफ्ते से बिहार में चल रहे इंसेफेलाइटिस ने 108 बच्चों की जान ले ली हैं और राज्य के मुख्यमंत्री को अब याद आ रहा हैं कि उनके राज्य में चमकी बुखार से बेगुनाह बच्चों की जान जा रही हैं. मंगलवार को CM नीतीश कुमार जब अस्पताल पहुंचे तो लोगों के मन में भरा आक्रोश जाग उठा और लोगों ने श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज के बाहर CM के खिलाफ गो बैक के नारे लगाए.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) बीमारी से पहले एक्शन न लेने के आरोप में केस दर्ज हुआ है.
वहीं, दूसरी तरफ बच्चों की मौत पर मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा है. मानवधिकार आयोग ने कहा कि सोमवार को बिहार में चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या 100 से ज्यादा हो गई है और राज्य के अन्य जिले भी इससे प्रभावित हो रहे हैं. इसके साथ ही आयोग ने इंसेफेलाइटिस वायरस की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट भी मांगी है. मानवधिकार आयोग ने 4 हफ्तों के अंदर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक की. जिसके बाद मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि, सरकार ने फैसला किया है कि उनकी टीम हर उस घर में जाएगी जिस घर में इस बीमारी से बच्चों की मौत हुई है और टीम बीमारी के पीछे की वजह जानने की कोशिश करेगी, कि आखिर इस बीमारी की वजह क्या है. क्यूंकि कई विशेषज्ञ इसकी वजह लीची वायरस बता रहे हैं, जबकि कई ऐसे पीड़ित भी हैं, जिन्होंने लीची नहीं खाई.
पीड़ित बच्चों के लिए नीतीश कुमार ने कई बड़े फैसले लिए हैं जैसेकि इंसेफेलाइटिस से प्रभावित बच्चों को नि:शुल्क एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और पूरे इलाज का खर्च सरकार उठाएगी.
बीमारी से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा.
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि चमकी बुखार से बिहार के 12 जिले के 222 प्रखंड प्रभावित हैं. जिनमें से 75 प्रतिशत केस मुजफ्फरपुर में हैं.