झारखंड प्रदेश कांग्रेस पर बीते कुछ समय से राजनितिक मतभेद जारी था. आज यानि शुक्रवार को झारखंड से एक ऐसी खबर आयी जिसने झारखंड कांग्रेस को बिना अध्यक्ष वाली पार्टी बना गया.
जी हां जिसका डर और जिसकी आशंका थी वही हुआ, झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है.
डॉ. अजय कुमार ने राहुल गाँधी को तीन पन्ने की चिट्टी लिखी है, जिसमे उन्होंने कहा है, पिछले डेढ़ साल से मैं लगातार पार्टी को बनाने का काम कर रहा था. मैंने एक प्रवक्ता के रूप में कांग्रेस पार्टी को आगे ले जाने के लिए दिल-ओ-जान लगा दी.

बीते 16 महीनो में मैंने खुद से हर एक ब्लॉक हर जिले का दौरा किया है. उन्होने कहा कि 33 विभाग ऐसे थे जो सिर्फ कागज़ात पर मौजूद थे लेकिन,अब वो पुरे तरह से काम में हैं और बहुत अच्छा काम रहे हैं.
डॉ. अजय ने इस चिट्ठी में पार्टी के ही कई नेताओं पर संगीन आरोप लगाए हैं.
उन्होंने कहा, सुबोध कांत सहाय, रामेश्वर उरांव, प्रदीप बलमुचू, चंद्रशेखर दुबे, फ़ुरक़ान अंसारी और कई ऐसे नेता हैं जो सिर्फ अपने राजनीतिक पद और अपने फायदे के बारे में सोचते हैं.

उन्होंने अपने ही पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि, मुझे दबाना इतना भी आसान नहीं है. मैंने कई अपमान के मौके को नज़रअंदाज़ कर दिया लेकिन हद तो तब हो गयी जब अपने ही पार्टी के सदस्यों ने मुझ पर हमला करने के लिए गुंडों को भेजा.
चिट्ठी में आगे लिखा गया है कि, सुबोध कांत सहाय जैसे नेता ने ट्रांसजेंडर को पार्टी हेडक्वाटर के बाहर तमाशा करने के लिए भेजा.
उन्होंने यह भी लिखा कि, किसी भी राजनितिक पार्टी का कर्तव्य होता कि वो जनहित में काम करें. मैंने कभी अपने फायदे के बारे में नहीं सोचा.
2019 लोकसभा चुनाव में मैंने अपने पारम्परिक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ा ताकि हम गठबंधन के साथ मिलकर एक मज़बूत स्थिति में खड़े रहें.
उन्होंने झारखंड के नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि, “मेरे नज़रिये में हमारे सभी वरिष्ठ नेता अपने परिवार के लिए लड़ते हैं. एक नेता को बोकारो से सीट चाहिए तो उनके बेटे को पलामू से. एक नेता हटिया से सीट चाहते हैं तो दूसरा नेता अपनी बेटी के लिए घाटशिला से सीट चाहते हैं और खुद खूंटी से सीट चाहते हैं.”
उन्होंने आगे लिखा है कि, एक नेता अपने बेटे के लिए जामतारा से, अपने बेटी के लिए मधुपुर से और अपने लिए महगामा से सीट चाहते हैं.
पार्टी के नेता गठबंधन का साथ तभी तक देते हैं जब तक उन्हें अपना सीट पक्का लगता है. और यदि उन्हें मन कर दिया जाए तो वो पार्टी का नाश करने में लग जाते हैं.
आखिर में उन्होंने कुछ नेताओं कि तारीफ की और पार्टी व पार्टी के कुछ दिग्गज नेताओं का शुक्रिया अदा करते हुए उन्होंने अपना इस्तीफा क़ुबूल करने की बात कही.

बता दें कि, आज (शुक्रवार) ही एक खबर आयी थी कि, झारखंड प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के चेयरमैन और पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा ने गुरुवार को कांग्रेस का हाथ छोड़ तृणमूल कांग्रेस का दामन थम लिया है.
आगामी विधानसभा को नज़र में रखते हुए, बैठा के पार्टी छोड़ने के बाद अब डॉ. अजय कुमार का अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता हैं.
कांग्रेस के घबराने की एक वजह यह भी है कि, जहाँ एक तरफ कांग्रेस आपसी मतभेद का दंश झेल रहा है, वहीँ दूसरे तरफ शुक्रवार को भाजपा ने झारखंड में विधानसभा को देखते हुए चुनाव प्रभारी और सह चुनाव प्रभारी भी नियुक्त कर दिया है.