गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में 63 बच्चों की मौत को लेकर 2017 में विवादों के केंद्र में रहे बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.कफील खान ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) से उनका समर्थन नहीं करने पर नाराजगी जताई है.
डॉ. खान, जिन्हें शुरू में ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करके दर्जनों बच्चों को बचाने के लिए नायक बनाया गया था, बाद में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन्हें बच्चों के मौत के लिए दोषी ठहराया और बर्खास्त कर दिया था.
जब से उन्हें आठ महीने सलाखों के पीछे बिताने के बाद अप्रैल 2018 में जमानत दी गई, तब से डॉ. खान अपने निलंबन को निरस्त करवाने के लिए लड़ रहे हैं और उनका बकाया भी नहीं चुकाया गया है.
अब चल रहे कोलकाता के डॉक्टरों के विरोध के बीच जहां IMA डॉक्टरों के समर्थन में सामने आया है और देशव्यापी डॉक्टरों की हड़ताल का आह्वान किया है, डॉ.खान ने IMA को लिखे पत्र में अपने मुद्दे पर संगठन की चुप्पी पर सवाल उठाया है.
बाद में एक ट्वीट में, उन्होंने IMA को याद दिलाया कि वह अपना निलंबन रद्द करने और अपना बकाया राशि प्राप्त करने के लिए दो साल से पोस्ट कर रहे थे.
यह कहते हुए कि वह बिरादरी का हिस्सा भी है और उसका परिवार भी है, डॉ. खान ने IMA से उसके लिए भी बयान जारी करने का आग्रह किया.
एक समाचार संस्थान से बात करते हुए, डॉ. खान ने कहा कि उन्होंने IMA को कई पत्र लिखे हैं, लेकिन संगठन से कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं मिली.
“मैंने दिसंबर और जनवरी में भी IMA को पत्र लिखा था. लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला. मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि मुझे भी अपना जीवन यापन करना है और अपने परिवार का भरण पोषण करना है. मुझे IMA का समर्थन भी मिलना चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि वे सर्वोच्च न्यायालय में योगी सरकार के खिलाफ अवमानना का मामला दायर करेंगे यदि वे शीर्ष अदालत के आदेश को बहाल करने और उसकी भरपाई करने में विफल रहे.
डॉ. खान, जो बाल रोग विभाग के तत्कालीन प्रभारी थे, जब 60 से अधिक बच्चों शिशुओं की मौत कथित तौर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति में व्यवधान के कारण हो गई थी.
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उसके जवाब में दायर की गई एक RTI का जवाब देते हुए, उसने स्वीकार किया “10 अगस्त, 11-12-2017 को BRD मेडिकल कॉलेज में 54 घंटे के लिए तरल ऑक्सीजन की कमी थी और डॉ. कफील खान ने वास्तव मरने वाले बच्चों को बचाने के लिए में जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की थी.