एच.डी.कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कर्नाटक की सत्तारूढ़ गठबंधन JDS और कांग्रेस सरकार, 11 विधायकों के इस्तीफा सौंप देने से शनिवार को पतन की कगार पर पहुंच गयी. कांग्रेस के 8 और जेडीएस के 3 विधायक विधानसभा अध्यक्ष के पास अपना इस्तीफा देने पहुंच गए लेकिन स्पीकर नहीं मिले तो ये सभी राज्यपाल के पास चले गए.
इन विधायकों में बीसी पाटिल, एच विश्वनाथ, नारायण गौड़ा , शिवराम हेब्बर, महेश कुमाथल्ली, प्रताप गौड़ा पाटिल, रमेश जारकीहोली और गोपालैय्या शामिल हैं.
इस बीच कहानी में एक नया मोड़ आया है, इस्तीफा देने वाले 11 विधायकों में चार का कहना है कि यदि सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बनते हैं तो वे अपना इस्तीफा वापस ले लेंगे और दूसरे तरफ उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार विधायकों को मनाने में जुटे हुए हैं.
सोमवार को कांग्रेस के दो विधायक आनंद सिंह और रमेश जे. ने इस्तीफा दिया था. इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन के विधायकों की संख्या 116 पहुंच गई थी. जब कि बहुमत के लिए 113 विधायक चाहिए.
ताजा जानकारी के मुताबिक, जो विधायक अभी विधानसभा स्पीकर के पास इस्तीफा देने गए हैं, उन सभी ने अपने मोबाइल फोन भी बंद कर लिए हैं.
बता दें कि अगर इन विधायकों का इस्तीफा मंजूर हो जाता है तो कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बन सकती है.
विधानसभा में 105 सीटें वाली भाजपा को गठबंधन सरकार को गिराने और अपनी सरकार बनाने के लिए 15 विधायकों के इस्तीफे की जरूरत थी। इन नए इस्तीफों के साथ, भाजपा को अब सरकार को गिराने के लिए केवल तीन और विधायकों के इस्तीफे की आवश्यकता होगी.
कर्नाटक विधानसभा की ताकत 224 है. किसी भी पार्टी या गठबंधन को सरकार बनाने के लिए 113 विधायकों की जरूरत होती है.
वर्तमान में, भाजपा के पास 105 विधायक की संख्या हैं. लेकिन यदि भाजपा गठबंधन शिविर से 15 विधायकों को इस्तीफा देने में सक्षम है, तो यह विधानसभा की ताकत 209 तक पहुंचा देगी. इसका मतलब यह होगा कि भाजपा सिर्फ 105 विधायकों के साथ सरकार बना सकती है.