EPFO (श्रम मंत्रालय और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) ने PF की ब्याज दरों में कटौती नहीं करने का फैसला किया हैं. अगर EPF की ब्याज दर को कम किया जाता तो देश के 8 करोड़ लोगों को PF में घटी ब्याज दर से झटका लगता.
सरकार ने आम चुनाव से पहले PF खातों पर ब्याज दर बढ़ाने का फैसला किया था. 2017 में PF खातों पर ब्याज दर 8.55% थी. बाद में वर्ष 2018 और 2019 में इसे बढाकर 8.65% कर दिया गया था. जिसके बाद वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि यदि EPFO अपने खाता धारकों को ज्यादा ब्याज देता हैं तो इससे बैंक को परेशानी होगी, क्यूंकि बैंक को कम ब्याज दर धारकों को देनी होगी जोकि बैंक के लिए मुमकिन नहीं हैं. इसी वजह से वित्त मंत्रालय ने EPFO से PF फंड की ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने से आपत्ति जताई थी.
ब्याज दर के बढ़ने से सबसे ज्यादा असर छोटे बिज़नेस मैन पर पड़ेगा. छोटे बिज़नेस मैन को बैंक से लिए क़र्ज़ पर ज्यादा ब्याज चुकानी पड़ेगी. देश की अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए RBI ने ब्याज की दरों में कटौती की हैं. RBI ने अपने ब्याज दरों में फरवरी के बाद से 0.75% की कटौती की है. दूसरी तरफ बैंकों ने केवल अपनी ब्याज दरों में 0.10 और 0.15% तक की कटौती की है.
आंकड़ों के अनुसार
- EPFO अपने फंड का 85 फीसदी से ज्यादा हिस्सा केंद्र और राज्यों की सिक्योरिटीज और ऊंची रेटिंग वाले कॉरपोरेट ब्रांड्स में निवेश करता है.
- 8.31 करोड़ डॉलर (5.75 अरब रुपये) मुश्किलों से जूझ रही IL&FS के बॉन्ड्स में EPFO जोकि लगभग 190 अरब डॉलर फंड का प्रबंधक हैं. IL&FS में निवेश किए थे.