दिल्ली महिला आयोग ने शनिवार को कहा कि, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और राज्यसभा सदस्य विजय गोयल की कथित लैंगिक और असीम टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए.
यहां जारी किए एक बयान में DCW ने कहा कि उनके कृत्यों और टिप्पणियों से न केवल कश्मीरी बेटियों और बहनों की गरिमा को ठेस पहुंची है बल्कि उनकी प्रतिष्ठा को भी नुकसान हुआ है.
DCW ने कहा है कि देशभर की महिलाओं और लड़कियों पर भी इसका असर पड़ा है.
बयान में कहा गया है कि उनके बयानों से पहले से ही संवेदनशील कश्मीर के इलाके में हिंसा भड़क सकती है.
महिला आयोग ने कहा, ‘‘उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों द्वारा दिए गए ऐसे बयान पितृसत्तात्मक समाज की धारणा का समर्थन करते हैं और महिलाओं तथा लड़कियों की अहमियत और आवाज को दबाने का काम करते हैं’’
डीसीडब्ल्यू की टिप्पणी खट्टर के उस बयान पर आयी है जिसमें, उन्होंने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि अब हरियाणा के लोग कश्मीर से दुल्हन ला सकेंगे.
ज़ाहिर सी बात हैं उनका इशारा संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिये जाने की ओर था.
खट्टर ने शुक्रवार को फतेहाबाद में एक कार्यक्रम में कहा, “अगर लड़कियों की तादाद लड़कों से कम हो तो दिक्कतें हो सकती हैं. हमारे (ओ पी) धनखड़जी ने कहा था कि उन्हें (दुल्हनों को) बिहार से लाना होगा. लेकिन कुछ लोगों ने कहा, कश्मीर खुला है, लिहाजा उन्हें (दुल्हनों को) वहां से लाया जाएगा. लेकिन मजाक से हटकर, सवाल यह है कि अगर अनुपात (लिंग अनुपात) सही रहे तो समाज में संतुलन ठीक रहेगा.”
दूसरी ओर, महिला आयोग ने गोयल को उनके दिल्ली आवास के बाहर कथित तौर पर कश्मीरी लड़कियों के लिए होर्डिंग लगाने के लिए फटकार लगाई.
महिला आयोग ने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब कई राज्य हाई अलर्ट पर है तो पूरे राज्य की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली इस तरह की असंवेदनशील और मूर्खतापूर्ण टिप्पणियां हिंसा बढ़ा सकती है.’’
उसने कहा, ‘‘आयोग दोनों मामलों में अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर विचार किए बगैर प्राथमिकी दर्ज करने की पुरजोर अनुशंसा करती है.’’