गृहमंत्री अमित शाह 17वीं लोकसभा के चल रहे संसद सत्र में सोमवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल पेश करेंगे. यह जम्मू- कश्मीर आरक्षण संशोधन 2019 विधेयक है. इसी सप्ताह में जम्मू- कश्मीर से संबंधित लोकसभा में एक और बिल पेश किया जाएगा. अमित शाह के गृहमंत्री बनने के बाद उनका यह पहला बिल होगा. जम्मू – कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से मंजूरी मिल गयी है.
J&K विधेयक संशोधन से मिलेगा इन वर्गों को लाभ
लोकसभा में जारी किए जा रहे इस बिल में जम्मू- कश्मीर आरक्षण विधेयक 2004 में संशोधन होगा. जिससे कि राज्य के अंदर रहने वाले लोगों को भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बराबर का आरक्षण मिलेगा. इस विधेयक का खास उदेश्य जम्मू और कश्मीर में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गो को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान कराना है. इस संशोधन से जम्मू-कश्मीर के युवाओं को फायदा होगा जो राज्य सरकार की नौकरियों को पाना चाहते हैं. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को जनवरी 2019 में 103 वें संविधान संशोधन के माध्यम से लागू किया गया था.
17वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद के पहले सत्र के दौरान 40 विधेयकों पर चर्चा होगी और इन 40 विधेयकों को पास कराने के लिए योजना बनाने की कोशिश की जाएगी. इनमें से कुछ विधेयकों को अध्यादेश के स्थान पर लाया जाएगा. जबकि कुछ विधेयक राज्यसभा में पेश किए जाने के बाद संसदीय समितियों को भेजे जाएंगे.
अध्यादेश का क्या मतलब है
लोकसभा में विधेयक पास नहीं होने पर या फिर संसद सत्र नहीं चलने की स्थिति में केंद्र सरकार के कहने पर राष्ट्रपति आदेश जारी करता है, उसे ही अध्यादेश कहते हैं. अध्यादेश जारी रखने की अवधि कम से कम डेढ़ महीने और ज्यादा से ज्यादा 6 महीनें की होती हैं.