भारत की अर्थव्यवस्था में कमी आती दिख रही है. ऐसे में सरकार को अर्थव्यवस्था की ओर कुछ नए कदम उठाने होंगे. नहीं तो अर्थव्यवस्था की कमी का असर देश के हरेक नागरिक पर दिखने लगेगा.
रोज़गार, बाज़ार, मुद्रा में गिरावट, वाहन बाज़ार, रियल एस्टेट सहित विभिन्न क्षेत्रों से जो आंकड़े पता चले हैं, वह सरकार की बुनियादी बातों से एक दम अलग हैं.
अर्थव्यवस्था में आ रही इस कमी से आंकड़ों में जो अंतर है, उससे बाज़ार में घबराहट साफ नज़र आ रही है. बाजार में यह घबराहट केवल घरेलू या केंद्र स्तर तक ही सिमित नहीं है, बल्कि इसका असर विदेशों के साथ भी दिखाई पड़ रहा है.
अमेरिका और चीन के साथ भारत अर्थव्यवस्था के मामले में पिछड़ता जा रहा है. इस समय चीन और भारत के बीच कारोबार पूरी तरह से चीन के पक्ष में हो गया है.
वित्त वर्ष 2019 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 53 अरब डॉलर रहा. भारत, चीन को 17 अरब डॉलर का निर्यात करता है, जबकि वहां से 70 अरब डॉलर का माल लाता है.
वाहनों की बिक्री में जुलाई 2019 में 18 प्रतिशत की गिरावट हुई. बाजार में मंदी को देखते हुए निवेशक सोने में निवेश कर रहे हैं.
घरेलू सामान के उत्पादकता में भी कमी हो रही है. जिस वजह से तेल साबुन जैसी रोज़मर्रा के इस्तेमाल की चीज़ें बनाने वाली एफएमसीजी कंपनियों का बाज़ार भी मंद पड़ गया है.