हिंदी तिथि के अनुसार इस वर्ष जन्माष्टमी दो दिन 23 और 24 अगस्त को मनाई जा रही है. जैसाकि सभी जानते हैं कि जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. लेकिन क्या आप यह जानते है कि आखिर क्यों भगवान श्री कृष्ण को अवतार लेना पड़ा था.
श्री कृष्ण ने अलग अलग रूप में कई अवतार लिए थे. जिसके बारे में गीता के एक श्लोक में बताया गया है. ‘यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य, परित्राणाय साधुनाम’. गीता के इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने अवतार का रहस्य बताया है.
श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि भारत संसार में जब- जब धर्म की हानि होती है और अधर्म बढ जाता है तब- तब धर्म की पुर्नस्थापना के लिए मैं अवतार लेता हूं.
द्वापर युग में क्षत्रियों की शक्ति बहुत बढ़ गई थी वह अपने बल के अहंकार में देवताओं को भी ललकारने लगे थे. इसके अलावा हिरण्यकश्य और हिरण्याक्ष ने रूप बदलकर धरती पर जन्म लिया था. जिनका अंत करने के लिए भगवान विष्णु को स्वयं अवतार लेना था.
भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के द्वारपाल जय और विजय श्राप के कारण असुर रूप में धरती पर जन्म ले रहे थे. जिसके बाद श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने इन्हें वरदान दिया था कि जब भी तुम जन्म लोगे तुम्हारी मृत्यु मेरे ही हाथों होगी.
ऐसे में एक तरफ धरती पर कंस ने जन्म लेकर हाहाकार मचा रखा था तो दूसरी ओर शिशुपाल जो पूर्वजन्म में हिरण्याक्ष था वह भी धरती पर आ चुका था.
इन दोनों को मुक्ति प्रदान करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अवतार लिया था. उसी समय से जन्माष्टमी मनाई जाती है. भगवान श्री कृष्ण, भगवान विष्णु के ही अवतार है.