झारखंड के गिरिडीह जिले की कोनार सिंचाई परियोजना का उद्घाटन मुख्यंत्री रघुवर दास द्वारा बुधवार को किया गया था. मुख्यमंत्री के उद्घाटन के बाद ही महज़ चंद घंटों के भीतर कोनार नहर पानी बर्दाश्त नहीं कर पायी और किनारा तोड़ते हुए विष्णुगढ़- बगोदर के आस पास के गांव की फसल को बहा ले गयी.
103 किमी लंबी बनी यह कोनार नहर एक दिन भी पानी के बहाव को बर्दाश्त नहीं कर पायी. नहर के टूटने के कारण आस पास के कई गांव डूब गए, फसलें ख़राब हो गयी.
कोनार सिंचाई परियोजना की मुख्य बातें
- मुख्यमंत्री रघुवर दास के उद्घाटन करने के कुछ घंटों बाद ही कोनार नहर टूट गयी.
- इस परियोजना से 85 गांव को लाभ मिलने वाला था.
- सिंचाई व्यवस्था का निर्माण कार्य 42 सालों से चल रहा है.
- किसानों के लाभ के लिए इस योजना पर करोड़ों की राशि खर्च की गयी.
बताया जा रहा है कि इस सिंचाई परियोजना को बनाने के लिए 2 हज़ार 176 करोड़ की राशि खर्च की गयी है. करोड़ों की राशि खर्च करने के बाद भी बांध का एक ही दिन में टूट जाना, लापरवाही की ओर साकेत करता है. बांध को बनाने के बाद क्या इसकी जांच नहीं की गयी थी कि नहर में कितनी मात्रा में पानी वहन करने की क्षमता है.
विधानसभा चुनाव के चलते जल्दबाज़ी में उद्घाटन करना सरकार को पड़ा महंगा
अगले दो महीने के बाद राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले है. ऐसे में राज्य सरकार ने जल्दबाज़ी में कोनार सिंचाई परियोजना का कार्य पूरा हुए बिना ही उसका उद्घाटन कर दिया.
पूर्व विधायक विनोद सिंह ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव में लाभ लेने के लिए सरकार ने आनन- फानन में इस परियोजना का उद्घाटन कर, आफत बुला ली है.
उन्होंने सरकार से प्रभावित किसानों काे मुआवजा देने की मांग की है.
2021 तक पूरा होना परियोजना कार्य
कोनार सिंचाई परियोजना पर 42 सालों से कार्य चल रहा था. इस योजना के जरिए हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो के 85 गांव को लाभ मिलना था.
उद्घाटन के बाद कहा गया था कि अभी भी योजना में काम चल रहा है जो 2021 तक पूरा हो जाएगा.
किसानों की ख़ुशी गम में बदल गयी
बगोदर-विष्णुगढ़ के तिरला-चिचाकी, खटैया, कुसमरजा, घोसको आदि गांवों के किसान मातम में हैं. नहर टूटने के कारण मकई, धान और मूंगफली जैसी फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं.
एक तरफ मुख्यमंत्री के उद्घाटन के बाद गांव के किसान खुश हो रहे थे कि अब उन्हें अच्छी सिंचाई व्यवस्था मिलेगी. लेकिन नहर के महज़ 12 घंटे बाद टूटने के कारण सभी किसानों की ख़ुशी गम में बदल गयी.