झारखंड के सरायकेला-खरसांवा के धातकीडीह गांव में 17 जून को तबरेज़ अंसारी को चोरी के आरोप में गांव के लोगों ने पकड़ लिया था. घटना का एक वीडियो सामने आया था जिसके मुताबिक उसे बेरहमी से पीटा गया, साथ ही उससे “जय श्री राम” के नारे लगवाए गए. अगले ही दिन यानि 18 जून को पुलिस ने तबरेज़ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इस दौरान तबरेज़ की तबियत बिगड़ गई और 22 जून को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
लेकिन क्या तबरेज की जान सिर्फ उग्र भीड़ ने लिए, तो जवाब है, नहीं !
एक रिपोर्ट में सामने आया है कि , घटना के बाद 18 जून की सुबह तबरेज को जांच के लिए अस्पताल लाया गया लेकिन अस्पताल में न तो तबरेज के खून की जांच की गयी और न ही अल्ट्रासाउंड किया गया. तब तबरेज का जांच डॉ. ओ पी केसरी कर रहे थे. हमें पता नहीं की उन्होंने क्या और कैसा जांच किया.
उसके उन्होंने रिपोर्ट में मल्टीपल इंजरी लिख कर पुलिस को तबरेज को जेल ले जाने दिया. जब डॉ. ओपी केशरी ने रिपोर्ट में मल्टीपल इंजरी लिखा तो क्या उन्हें पुरे शरीर की जांच नहीं करनी चाहिए थी. सर में चोट लगने के बाद ब्रेन हेमरेज का पता लगाना इतना भी मुश्किल नहीं था. ओपी केशरी ने रिपोर्ट में बस घुटने का एक्सरे लिख दिया.
लेकिन ऐसा नहीं था कि तबरेज को बस एक बार डॉक्टरों के पास लाया गया और डॉक्टरों से चूक हो गयी, बल्कि शाम को मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने से पहले शाम को तबरेज को मेडिकल चेकअप के लिए वापस अस्पताल लाया गया. इस बार तबरेज को देखने वाले डॉ. थे शाहिद अनवर. उन्होंने ने भी बस घुटने का एक्सरे किया और दूसरा कोई जांच नहीं. और फिर डॉ. शाहिद अनवर के कलम ने तबरेज को पूरे तरह से फिट लिख दिया और पुलिस उसे वापस जेल ले गयी.
18 जून से 23 जून तक तबरेज को जेल में भी मेडिकल वार्ड में रखा गया था. वहां तबरेज डॉ. प्रदीप कुमार के नज़र में था लेकिन यहां प्रदीप कुमार ने तबरेज को देखा और छुट्टी पर चले गए. उसके बाद डॉ. प्रदीप की जगह ली डॉ. ओपी केसरी ने, अब तबरेज को डॉ. ओपी केसरी ने देखा. क्या तब भी डॉ. केसरी को तबरेज के ख़राब तबियत का अंदाज़ा नहीं हुआ ?
तबरेज एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन डॉक्टरों के नज़र से हो कर गुज़रता रहा लेकिन 3 में से 1 को भी तबरेज के हालत का अंदाज़ा नहीं लगा. हालांकि तीनो डॉक्टरों में से एक डॉ. शाहिद अनवर को गिरफ्तार किया गया है. क्या बांकि डॉक्टरों को भी गिरफ्तार किया जायेगा ?
तबरेज की मौत का तीसरा पहलू भी है. पहला तो उग्र भीड़ ने उसे बेदर्दी से मारा दूसरा डॉक्टरों का तबरेज़ की तबियत को यूं नज़रअंदाज़ करना और तीसरा पुलिस की लापरवाही.
इस घटना के बारे में पुलिस ने अपने सीनियर को कोई जानकारी ही नहीं दी और साथ ही साथ घटनास्थल से पुलिस कोई भी सबूत इकट्ठे नहीं किये. क्या ये लापरवाही नहीं थी कि पुलिस घटनास्थल पर पहुंचती है और बिना सबूत इकट्ठे किये लौट जाती है.
घटना 17-18 जून की रात करीब 1 से 2 दो बजे की है और पुलिस को घटनास्थल तक पहुंचे में सुबह के 6 बज गए. घटना के बाद ही झारखंड सरकार ने SDO और SIT की टीम का गठन कर दिया था. SDO के टीम में अस्पताल के सिविल सर्जन भी शामिल थे.
वहीं, जिला दंडधिकारी-सह उपायुक्त कार्यालय, सरायकेला खरसांवा की रिपोर्ट के मुताबिक तबरेज़ अंसारी को 18 जून को 2:30 बजे सुबह धातकीडीह में चोरी करते हुए ग्रामीणों के द्वारा पकड़ा गया और पीटा गया. उसके दो साथी नुमैर अली एवं शेख इरफान मौके से भाग निकले. पुलिस को घटना की सूचना पांच बजे मिली और उसने घटना स्थल पर पहुंच कर तबरेज़ का प्राथमिक इलाज कराया. तबरेज़ के पास से चोरी की एक मोटरसाइकिल और अन्य समान मिले हैं. ग्रामीणों के द्वारा तबरेज़ और उसके साथी पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई. तबरेज़ अंसारी को इलाज के उपरांत न्यायिक हिरासत भेजा गया. 22 जून को सुबह तबरेज़ अंसारी अचानक बीमार पड़ गया. जिसके बाद उसे सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां उसको चिकित्सकों द्वारा मृत घोषित कर दिया गया.
हालांकि अभी तक पोस्टपार्टम रिपोर्ट नहीं आयी है, लेकिन शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक तबरेज की मौत ब्रेन हैमरेज से हुई थी. लेकिन अब डॉक्टरों के नज़रअंदाज़ी और पुलिस की लापरवाही के बाद तबरेज की मौत की असल वजह पर यकीन करना मुश्किल हो गया है. पहले लगा तबरेज की जान भीड़ ने ली है फिर लगा पुलिसिया सिस्टम ने ली, या फिर डॉक्टर की लापरवाही ने तबरेज की जान ली लेकिन अब लग रहा है तीनों ने मिलकर तबरेज की जान ली और एक बार नहीं बल्कि तबरेज 3 बार मारा गया है.
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि दो पुलिस अधिकारियों को इस मामले में निलंबित किया जा चुका है और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. सरायकेला-खरसावां के पुलिस उपायुक्त अंजनेयुलु डोड्डे ने कहा कि पुलिस और डॉक्टरों की तरफ से लापरवाही हुई है. पुलिस जहां घटनास्थल पर देर से पहुंची, वहीं डॉक्टर सिर में लगी चोट का पता नहीं लगा पाए. पुलिस उपायुक्त तीन सदस्यों वाले प्रशासनिक जांच दल का नेतृत्व कर रहे हैं.
डोड्डे की बात का समर्थन करते हुए एक सिविल सर्जन ने कहा कि एक्सरे और पूरे शरीर की जांच होनी चाहिए थी लेकिन यह जांच नहीं की गयी क्योंकि सिर पर चोट के निशान नहीं थे.
इधर मामले में डीसी की रिपोर्ट और तबरेज़ द्वारा पुलिस को दिए गए इकबालिया बयान पर कई प्रश्न खड़े होते हैं. 24 जून को रांची के डीजीपी कमल नयन चौबे प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहते हैं कि, तबरेज़ अंसारी की अधिक पिटाई होने से मौत हो गई है. फिलहाल मॉब लिंचिंग जैसी कोई बात नहीं है. वहीं शुरुआत में आई ख़बरों के मुताबिक सरायकेला SDPO अविनाश कुमार ने तबरेज़ की मौत को मॉब लिंचिंग बताया था.
इस मामले में मुख्य आरोपी पप्पू मंडल समेत 11 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है.