लोकसभा चुनाव 2019 के बाद हर पार्टी कांग्रेस से कन्नी काटते हुए नज़र आ रही है. JMM केंद्रीय कमेटी की बैठक में महागठबंधन के आंगन से बाहर निकल कर विधानसभा चुनाव लड़ने की मांग उठायी गयी. बड़ी संख्या में पार्टी के नेताओं ने कहा कि कांग्रेस का साथ अगर पार्टी नहीं छोड़ी तो बर्बादी पक्की है.
लोकसभा चुनाव के अनुभव साझा करते हुए पार्टी के नेताओं ने यही कहना चाहा कि विपक्षी दलों संग तालमेल कर चुनाव लड़ने से कोई फायदा नहीं है. दो दिनों की बैठक की समाप्ति के बाद JMM के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने भी इस सच्चाई को माना.
जमशेदपुर और गिरिडीह के नेताओं ने तो यह तक कह डाला कि कि कांग्रेस समर्थकों ने इन दोनों जगहों पर JMM को नहीं बल्कि BJP के पक्ष में वोट दिया हैं.
बैठक में चाईबासा से आए JMM नेता भी शामिल हुए. उन्होंने कहा कि सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में JMM के 5 विधायक होने के बाद भी वहां से कांग्रेस उम्मीदवार को जीत मिली. JMM के कार्यकर्ताओं ने हर तरह से उनका सहयोग किया लेकिन बदले में हमें वैसी प्रतिक्रिया नहीं मिली जैसी मिलनी चाहिए थी. कार्यकारणी की बैठक में लोकसभा चुनाव के बाद के मौजूदा राजनीतिक हालात, संगठनात्मक रणनीति आदि पर चर्चा हुई.
दो दिवसीय केंद्रीय कमेटी की बैठक का समापन 16 जून को होगा. इस बैठक में बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के नेता भी शामिल हो रहे हैं. बैठक की अध्यक्षता JMM सुप्रीमो शिबू सोरेन ने की.
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चाहते हैं कि चुनाव साथ मिल कर ही लड़ा जाए न कि अलग हो कर. उनकी चाहत विधानसभा चुनाव विपक्षी दलों के साथ गठबंधन कर लड़ने कि है.
विपक्षी दलों द्वारा हर बार EVM को कटघरे में खड़ा किया गया है.
अब JMM की केंद्रीय कार्यकारिणी ने EVM की जगह बैलेट पेपर के जरिए चुनाव कराने की मांग की है. कार्यकारिणी ने एक स्वर में इसे पारित किया. नेताओं ने कहा कि EVM की विश्वसनीयता संदिग्ध है. बैलेट पेपर के जरिए चुनाव होना चाहिए. .