मध्यप्रदेश सरकार गाय के नाम पर राज्य में मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए एक कड़ा कानून बनाने जा रही है. इस कानून के तहत खुद को ‘गोरक्षक’ बताने वाले लोगों और गौरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
कमलनाथ की अगुवाई वाली सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में इस संशोधित विधेयक को पारित कराना चाहती है. यदि विधेयक पारित हो जाता है, तो मध्य प्रदेश में गौरक्षा के नाम पर हत्या के मामलों के लिए एक अलग कानून होगा.
मौजूदा कानून क्या है?
मध्य प्रदेश में वर्तमान कानून मवेशियों की हत्या और गौ मांस रखने और लेन ले जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है.
संशोधित कानून क्या है?
संशोधन के बाद, यदि कोई व्यक्ति मवेशी वध, गोमांस और मवेशियों के मांस या इससे संबंधित किसी चीज के लिए हिंसा या क्षति पहुँचाने के लिए जिम्मेदार पाया जायेगा, तो उसे पांच साल तक की जेल हो सकती है और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है.
2018 राज्यसभा में बताया गया था कि, केंद्र सरकार देश में लिंचिंग की घटनाओं पर कोई विशिष्ट डेटा नहीं रखती है.
सुप्रीम कोर्ट ने संसद से कहा था कि वह भीड़तंत्र और गाय सतर्कता की घटनाओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक नया कानून बनाने पर विचार करे सरकार, जिसमें कहा गया था कि “भीड़तंत्र के भयावह कामों” को एक नया आदर्श नहीं बनने दिया जा सकता है.
भारत में घृणा अपराधों के कोई सरकारी आंकड़े नहीं हैं, लेकिन कुछ मीडिया आउटलेट हैं जिन्होंने उन्हें ट्रैक करने का प्रयास किया है. इंडियास्पेंड के अनुसार, 2015 के बाद से भारत में गौ-रक्षा हिंसा की 117 की घटनाएं हुई हैं. वहीँ क्विंट के अनुसार, पूरे भारत में 2015 के बाद से अब तक 88 लोग अपनी जान गया चुके है या उनकी जान छीन ली गयी है.