कर्नाटक में सत्तारूढ़ जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के एक दर्जन से अधिक विधायकों के इस्तीफे के बाद से पार्टी में उथल पुथल मच गयी है. विधायकों के इस्तीफे को देखते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कर्नाटक के राजनीतिक संकट को लेकर भाजपा पर बड़ा आरोप लगाया है. आरोप लगते हुए उन्होंने कहा कि कर्नाटक में उनकी सरकार गिराने के लिए बीजेपी कई विधायकों को मुंबई ले गई है.
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक कर्नाटक में जारी राजनीतिक संकट के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में गुलाम नबी आजाद ने बताया, ‘प्रधानमंत्री जी कहते हैं – सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास. ये बातें टेलीविजन पर बहुत अच्छी लगती हैं. लेकिन जमीन पर नहीं हैं.’
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उन्होंने आगे कहा, ‘माननीय प्रधानमंत्री की मौजूदगी में मैंने कहा था कि आपने हमारी सरकार हिमाचल प्रदेश में तोड़ दी. मणिपुर एवं गोवा में हमारे विधायकों को मतदान करने नहीं दिया. बंगाल के विधायक ले जा रहे हो, आंध्रप्रदेश के विधायक ले जा रहे हो, गुजरात के विधायक ले जा रहे हो और अब आप कर्नाटक के विधायक ले जा रहे हो.’
इसके बाद गुलाम नबी आजाद ने सवाल उठाते हुए कहा, ‘इन सबका विश्वास कहां चला गया? और कहां है लोकतंत्र? लोकतंत्र पर तो हमारा विश्वास होता है, भरोसा होता है. पार्टी के चुनाव चिह्न के आधार पर जनता अपना प्रतिनिधि चुनकर देती है और अगर उसमें कोई भी बाहुबली ताकत वाला इस तरह से करे, तो क्या होगा.’
आपको बता दें कि, कांग्रेस-जेडीएस सरकार 13 विधायकों के त्यागपत्र और इनमें से 12 विधायकों के शनिवार को इस्तीफा देने बैकफुट में चली गयी थी. कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 118 विधायक हैं. अगर इस्तीफा देने वाले विधायकों के त्यागपत्रों को स्वीकार कर लिया जाता है तो राज्य में कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिर सकती है.
मुंबई में डेरा डाले विधायकों ने यह बात साफ़ कर दी है कि वो अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंगे और दूसरी तरफ भाजपा कर्नाटक के इस नाटक पर लगातार नज़र रख रही है. साथ ही वह राज्य में अपनी सरकार बनाने की कोशिश करेगी.
कर्नाटक विधानसभा की ताकत 224 है. किसी भी पार्टी या गठबंधन को सरकार बनाने के लिए 113 विधायकों की जरूरत होती है.
वर्तमान में, भाजपा के पास 105 विधायक की संख्या हैं. लेकिन यदि भाजपा गठबंधन शिविर से 15 विधायकों को इस्तीफा दिलाने में सक्षम हुई, तो यह विधानसभा की ताकत 209 तक पहुंचा देगी. इसका मतलब यह होगा कि भाजपा सिर्फ 105 विधायकों के साथ सरकार बना सकती है.
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