कश्मीर में नहीं चली गोली: क्या प्रशासन झूट बोल रहा है ? पैलेट से पीड़ित 5 मरीज
जम्मू कश्मीर से मोदी सरकार द्वारा अनुछेद 370 के कई खंड ख़त्म किये जाने के बाद कई बार ऐसी खबरें आयी हैं कि घाटी में मौजूदा स्थिति सही नहीं है, लेकिन सरकार ने इन सब से इंकार किया है.
राज्य पुलिस से लेकर सरकारी अस्पताल प्राधिकरण तक का पूरा जम्मू-कश्मीर प्रशासकीय तंत्र यह कह रहा है कि, अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद यहां काफी शांति है.
यहां कोई भी घायल या पीड़ित नहीं है और न ही किसी तरह का विरोध प्रदर्शन हुआ है.
क्या यह बात सही है कि घाटी में सब कुछ ठीक है और किसी भी बात कोई विरोध नहीं हुआ ?
चौदह साल के असरार वानी शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) की आईसीयू में ज़िन्दगी से जूझ रहा है. उनकी बाईं आंख, दोनों पैर, कॉलर बोन और पेट पर गंभीर चोटें आई हैं. फिलहाल वह लाइफ सपोर्ट पर हैं.
जबकि जम्मू-कश्मीर के SP स्वयं प्रकाश पाणि का कहना है कि, घाटी में पुलिस गोलीबारी की कोई घटना नहीं हुई है, वहीँ अस्पताल के अधिकारी भी कह रहे हैं कि, यहां पैलेट से पीड़ित कोई मरीज नहीं है.
दी प्रिंट ने अपनी खबर में दावा किया है कि, 14 वर्षीय असरार वानी उन पांच मामलों में से एक है, जिन्हें शुक्रवार को श्रीनगर शहर में एक बड़े विरोध प्रदर्शन के दौरान गंभीर रूप से गोली से घायल किया गया है.
क्या हुआ था ?
बता दें कि, बाकी चार पीड़ितों की तरह वानी भी श्रीनगर के सौरा में जुमा की नमाज़ के लिए जा रहा था, जब उसे सेना के जवानों ने रोका.
“वानी की देखरेख कर रहे अटेंडेंट ने दी प्रिंट को बताया है कि, सुरक्षा बलों ने नमाज अदा करने जा रहे लोगों को रोका. जिसके बाद सौरा में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, सुरक्षा बलों ने इन्हें काबू करने के लिए कथित रूप से आंसू गैस के गोले और पेलेट गन का सहारा लिया.”
अटेंडेंट ने आगे कहा कि वह महज एक 14 साल का लड़का है, जिसे सुरक्षाबलों ने निर्दयता से पीटा और गोली मार दी.
साथ ही अटेंडेंट ने जोड़ा कि, ‘उसकी गलती बस इतनी है कि उसने भारतीय राज्य के अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की हिम्मत की और नमाज अदा करना चाहता था.’
अटेंडेंट ने का ही नहीं बल्कि अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद नर्सिंग स्टाफ भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि असरार को पैलेट लगी थी.
इस लड़के के शरीर पर गोलियां लगी हैं,’ नर्स का कहना है कि असरार को भर्ती करना पड़ा क्योंकि उसकी हालत काफी नाज़ुक थी.
वहीँ 21 साल और BEd के छात्र आसिफ मोहम्मद को भी पैरों में गोलियां लगी हैं.
उनका कहना है कि, जुमा (शुक्रवार) को हमलोगों में कुछ लोग ईदगाह पर जमा हुए थे, यह एक शांत प्रदर्शन था. लेकिन जैसे ही हमलोग जोहरा पहुंचे वहां CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने हमें रोक लिया.
इसके बाद जैसे ही हमलोगों ने इसका विरोध किया उनलोगों ने हमें मारना और हम लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दी.
दी प्रिंट ने 3 और लोगों का ज़िक्र किया है लेकिन हमने अपनी खबर में दो के बारे में लिखा है और समझने की कोशिश की है कि, क्या वाकई में घाटी में सबकुछ सही और शांतिपूर्ण है.
अगर हम इस पूरी घटना को देखें और समझने की कोशिश करें तो दो चीज़ें सामने आती हैं. पहली तो यह कि, यदि कश्मीर में सब कुछ सामान्य है और शांतिपूर्ण माहौल है तो ये लोग झूठ बोल रहे हैं.
दूसरी कि, यदि ये लोग सही हैं तो फिर सरकार राज्य कि पुलिस और अस्पताल के अधिकारी झूठ बोल रहे हैं और कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे हैं.
लेकिन सरकार ऐसा क्यों कर रही है ?
जम्मू कश्मीर से अनुछेद 370 के एक को छोड़ कर सारे खंड निरस्त कर देने क बाद से इस मुद्दे पर देश दो हिस्सों में बंट गया. कुछ लोग हैं जो इस फैसले में सरकार के साथ हैं. तो वहीँ दूसरे तरफ मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर देश में विरोद प्रदर्शन देखने को मिले.
फैसले के विरोध में खड़े कई लोगों का कहना है कि, सरकार ने अपनी ताक़त का इस्तेमाल कर के देश के लोकतान्त्रिक ढांचे के साथ खिलवाड़ किया है.
वही दूसरे तरफ जो इस फैसले में सरकार के साथ हैं, का कहना है कि इससे कश्मीर में विकास होगा और ये फैसला कश्मीर के लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा.
तो हो सकता है कि सरकार इस घटना को इसलिए छुपा रही हो ताकि सरकार को लोग कटघरे में न खड़ा करें और उनके फैसले पर कोई उंगली न उठाये.
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