200 साल तक अंग्रेजों के गुलाम रहने के बाद 15 अगस्त को भारत को आज़ादी मिली. इस दिन देश ने ‘भारत छोडो आंदोलन’ पर विजय हासिल कर, जश्न मनाया. भारत को आज़ाद हुए 72 साल हो चुके हैं. और इस 15 अगस्त को भारत अपनी 73 आज़ादी दिवस मानाने जा रहा है. लेकिन अभी भी कुछ लोगों को इस बात का ज्ञान नहीं है कि आखिर 15 अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता है.
आइये आपको बताते हैं 15 अगस्त 1947 को ही आज़ादी का दिन क्यों चुना गया था.
जब देश एकजुट होकर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन कर रहा था. उस दौरान ‘भारत छोडो आंदोलन’ बहुत लोकप्रिय हुआ और ब्रिटिश को पता चल गया कि अब देश पर हुकूमत करना आसान नहीं होगा.
जिसके बाद लुई माउंटबेटन जो कि पहले पड़ोसी देश बर्मा के गवर्नर हुआ करते थे. उन्हें भारत का आखिरी वायसराय नियुक्त किया गया था. लुई माउंटबेटन को ही व्यवस्थित तरीके से भारत को सत्ता हस्तांतरित करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी.
15 अगस्त से पहले 3 जून 1948 की तारीख ब्रिटिश प्रशासन ने सत्ता हस्तांतरण के लिए तय की थी. लेकिन इतिहासकारों के मुताबिक़ अलग अलग बातें हैं, जिस वजह से 15 अगस्त को आज़ादी का दिन चुना गया.
पहले इतिहासकार के अनुसार माउंटबेटन 15 अगस्त को शुभ दिन मानता था. क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 15 अगस्त 1945 को जापानी सेना ने आत्मसमर्पण किया था. उस समय माउंटबेटन अलाइड फोर्सेज का कमांडर हुआ करता था.
15 अगस्त दिन शुभ है इसी के चलते माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरित करने की तारीख 15 अगस्त तय की.
लेकिन वहीं दूसरी ओर दूसरे इतिहासकारों का कहना है कि मोहम्मद अली जिन्ना जो कि मुस्लिमों के हित में एक अलग राष्ट्र की मांग कर रहे थे. उन्हें कैंसर हो गया था और ब्रिटिश को इस बात की भनक लग गयी थी.
इसलिए जल्दबाज़ी के चलते 15 अगस्त को देश को आज़ादी मिली. क्यूंकि ब्रिटिश को डर था कि तय की गयी तारीख से पहले जिन्ना की मौत हो गयी तो भारत- पाक कभी भी दो अलग राष्ट्र नहीं बन पाएंगे.
महात्मा गांधी मुस्लिमों को समझा कर अलग देश न बनाने के प्रस्ताव पर उन्हें मना लेंगे. इसलिए माउंटबेटन ने 15 अगस्त 1947 को सत्ता भारत को दी और ब्रिटिश प्रशासन ने देश छोड़ने का फैसला किया.
यह अन्य देश इसी दिन मनाते है स्वतंत्रता दिवस
15 अगस्त को भारत ही नहीं बल्कि अन्य चार देश कॉन्गो, बहरीन, साउथ कोरिया और नॉर्थ कोरिया भी स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं.