देश में UP एक ऐसा राज्य हैं, जहां कैबिनेट की बैठक के पहले मंत्रियों के फोन जमा करा लिए जाते हैं. 2 साल गुजर जाने के बाद योगी सरकार ने एक नई नीति लागू की जिसमें कैबिनेट मीटिंग के समय किसी भी अधिकारी को मोबाइल फ़ोन अपने साथ लेकर जाने की अनुमति नहीं हैं. चाहें वह सरकार के आंख-कान कहे जाने वाले DM और पुलिस कप्तान ही क्यों न हो.
आज के टेक्नोलॉजी भरे समय में जहां फ़ोन के बिना कोई काम नहीं होता. ऐसे में UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह नियम अनुशासन हैं या डर.
अनुशासन की बात करें तो कई बार ऐसा देखने को मिला है जब हाईलेवल मीटिंग के दौरान भी अधिकारी मोबाइल में बिजी रहते हैं. सोशल मीडिया पर चैटिंग या फिर दूसरे काम करते हुए मीडिया के कैमरे में भी कैद हो चुके हैं. अधिकारियों में अनुशासन बना रहें, इस वजह से CM योगी आदित्यनाथ ने कानून-व्यवस्था की मीटिंग में अधिकारियों के मोबाइल पर बैन कर दिए हैं.
दूसरी तरफ यह कहा जा रहा हैं कि शायद CM योगी को डर लग रहा हैं कि कहीं उनके अधिकारी मीटिंग के दौरान हो रही बातों को लीक न कर दें. इसलिए उन्होंने मोबाइल फ़ोन पर बैठक के समय में रोक लगाई हैं.
अधिकारियों पर नहीं चल रहा योगी का बस
जिस योगी की एक आवाज़ के आगे अच्छे-अच्छे अधिकारी हिलते नहीं थे. अब वो इस तरह की गुस्ताखी कैसे कर सकते है?
अधिकारी अगर योगी की बातों पर ध्यान देने के बजाय मोबाइल में बिजी रहते हैं तो इसका मतलब साफ है कि अब अधिकारियों पर योगी की पकड़ ढीली हो गई है.
दूसरी तरफ CM योगी को ये बात बखूबी मालूम है कि अगर अधिकारियों पर पकड़ ढीली हुई तो सरकार का बंटवारा होते देर नहीं लगेगी.
लोकसभा चुनाव के बाद लखनऊ में हुई कैबिनेट मीटिंग में CM योगी ने मंत्रियों के फोन बाहर रखवा दिए थे. हर कोई जानता है कि कैबिनेट मंत्री सरकार के भरोसेमंद व्यक्ति होते हैं. फिर भी ऐसी क्या वजह है कि योगी को अपने ही मंत्रियों के फोन पर रोक लगानी पड़ी.
इन घटनाओं से ऐसा लग रहा है कि UP की सरकार और मंत्रियों के बीच विश्वास की कमी हो रही और अगर वाकई में ऐसा है तो सरकार को इस पर 100 बार सोचना होगा. क्योंकि मंत्रियों और अधिकारियों के भरोसे ही CM का इकबाल बुलंद होता है.
लोकसभा चुनाव के बाद UP में अपराध का स्तर बढ़ा है, जिसकी वजह से योगी आदित्यनाथ को अपने इमेज की चिंता सताने लगी है. क्योंकि कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर जिस तरह से योगी सरकार ने पिछले 2 सालों में जो काम किया है, उसकी तारीफ हर किसी ने की. लेकिन चुनाव के बाद पासा पलट गया है. पिछले 15 दिनों में UP में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हुई है, उससे CM का परेशान होना लाजमी हैं.