नोटबंदी से पहले मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत क़रीबों का बैंक में खाता खुलवाया था. सरकार के नेता इस योजना की तारीफ करते नहीं थक रहे थे, लेकिन अब वित्तीय लेन-देने के अभाव में प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत खोले गए बचत खाते बंद हो रहे हैं.
जिन बैंक खातों में पिछले एक साल से लेन-देन नहीं हो रहा है, उन खतों को बंद किया जा रहा है. बैंक सूत्रों ने हमें बताया कि बिहार में अबतक लाखों जन-धन खाते बंद कर दिए गए हैं.
बिहार में कुल 4 करोड़ 26 लाख 64 हजार 825 जन-धन खाते हैं, जिसमे करीब 62 लाख 76 हजार 025 जन-धन खाते बंद पड़े हैं. इन खातधारकों ने किसी तरह का लेन-देन नहीं किया है. इनमें अभी 3 करोड़ 63 लाख 88 हजार खाते चालू हैं.
सूत्रों के मुताबिक, बिहार में जन-धन खातों के जरिये अबतक 298 करोड़ रुपये की ओवर-ड्राफ्ट की सुविधा दी गयी है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में जन-धन खातों के क्र जरिये 58 करोड़ का ओवरड्राफ्ट किया गया है.
क्या है ओवरड्राफ्ट सुविधा ?
वास्तव में ओवरड्राफ्ट की सुविधा का मतलब यह है कि अगर किसी जन-धन खाताधारक के बैंक खाते का रिकार्ड अच्छा है, तो वह जरूरत पड़ने पर अपने खाते में पैसे नहीं होने पर भी ओवरड्राफ्ट की लिमिट के तहत बैंक से रकम ले सकता है. यह असल में एक छोटी अवधि के एक लोन की तरह है जो बैंक खाते के संचालन की वजह से बैंक द्वारा दी जाने वाली सुविधा है. जन धन खाते में ओवरड्राफ्ट की सुविधा होने पर गरीब परिवारों को साहूकार से ब्याज पर रकम लेने की जरूरत नहीं पड़ती.
इस मसले पर अर्थशास्त्री प्रो. नवल किशोर चौधरी ने इस कहा कि यह चिंता की बात है, जन-धन खातों में अलग-अलग तरह की राशि सीधे खाते में जमा (डीबीटी) होनी थी, वो कहां गई, उनका ट्रांजेक्शन क्यों नहीं हो रहा, इन खातों के बंद या निष्क्रिय होने के लिए सरकार और बैंक दोनों जिम्मेवार है.
प्रधान मंत्री जन धन योजना का उद्देश्य देश भर में सभी परिवारों को बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराना और हर परिवार का बैंक खाता खोलना था . योजना की घोषणा 15 अगस्त 2014 को तथा इसका शुभारंभ 28 अगस्त 2014 को भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था.
इस योजनान का उद्देश्य देश भर में सभी परिवारों को बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराना और हर परिवार का बैंक खाता खोलना था लेकिन अभी जो लाखो खाते बंद हैं उनका क्या ?