Emergency Anniversary : पीएम मोदी लोकतंत्र की जयजयकार करते हैं, लेकिन विपक्ष कहता है कि अब सुपर आपातकाल है.
1975 में दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए राष्ट्रीय आपातकाल की आज 44 वीं वर्षगांठ है. पीएम मोदी से लेकर ममता बनर्जी तक, कई राजनेता आज के समय को प्रतिबिंबित करने के लिए इस ऐतिहासिक दिन को याद कर रहे हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को देश भर में आपातकाल की घोषणा की थी, जो दो साल तक जारी रहा. उस दिन को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार की सत्तावादी मानसिकता के बावजूद देश में लोकतंत्र कायम है.
इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल की घोषणा की 44 वीं वर्षगांठ पर, नरेंद्र मोदी ने 1975 में अखबारों की सुर्खियों, विरोध और संघर्ष की एक क्लिप साझा की.
India salutes all those greats who fiercely and fearlessly resisted the Emergency.
India’s democratic ethos successfully prevailed over an authoritarian mindset. pic.twitter.com/vUS6HYPbT5
— Narendra Modi (@narendramodi) June 25, 2019
पीएम मोदी ने लिखा, “भारत उन सभी महानुभावों को सलाम करता है जिन्होंने आपातकाल का जमकर विरोध किया और भारत का लोकतांत्रिक लोकाचार एक सत्तावादी मानसिकता पर सफलतापूर्वक कायम रहा.”
दूसरी ओर, ममता बनर्जी ने लिखा है, “आज 1975 में घोषित #Emergency की सालगिरह है. पिछले पांच सालों से देश ‘सुपर इमरजेंसी’ से गुजर रहा है. हमें इतिहास से सबक सीखने होंगे. और देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा के लिए लड़ना होगा ”
25 जून, 1975 को, इंदिरा गांधी सरकार ने देश पर एक राष्ट्रीय आपातकाल लगाया, इस प्रकार नागरिकों के अधिकांश संवैधानिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया.
सरकार के खिलाफ कुछ भी छापने से समाचार पत्रों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था,पत्रकरों के कलम को ज़ंजीर से बाँध दिया गया था. विपक्षी नेताओं को थोक में सलाखों के पीछे डाला जा रहा था और इंदिरा गांधी ने ऐसी स्थितियों में 2 साल तक शासन किया.
भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहार वाजपेयी, जय प्रकाश नारायण और कई अन्य लोग को सलाखों के पीछे डाल दिया था.
अनुभवी भाजपा नेता और पूर्व मंत्री कलराज मिश्र, वो भी कई राजनेताओं में से एक थे, जो आपातकाल के दौरान जेल गए , उन्होंने ट्विटर पर जेल की तस्वीर पोस्ट की है. और साथ ही मिश्रा ने लिखा, “इस अवधि को मौलिक अधिकारों के क्यूरेटिंग के रूप में याद किया जाएगा. #emergency के दौरान उन 19 महीनों की यादें मेरे विचारों में अभी भी ताजा हैं. यह वह जेल है, जहां तानाशाही के खिलाफ हमारी आवाज़ उठाने पर मुझे अन्य नेताओं के साथ रखा गया है.” (ट्वीट का हिंदी अनुवाद)
This period will be remembered as curtailing of fundamental rights. The memories of those 19 months during #emergency are still fresh in my thoughts.
This is the jail where I have been kept along with other leaders during #Emergency for raising our voices against dictatorship. pic.twitter.com/3uTU6jTskz— कलराज मिश्र (Kalraj Mishra) (@KalrajMishra) June 25, 2019
CPI के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है, “आज, 1975 की तुलना में एक मजबूत संकल्प की आवश्यकता है, जो कि धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र पर वापस हमलों से लड़ने के लिए है. यह हमला उन लोगों द्वारा किया जाता है जो यह नहीं सोचते कि भारत अपने सभी नागरिकों से संबंधित है. लेकिन यह करता है. सभी भारतीय चाहे जो भी भगवान से प्रार्थना करें (या नहीं)। # उमंग #SecularDemocracy “. (ट्वीट का हिंदी अनुवाद)
Today, a stronger resolve than in 1975 is required, to fight back attacks on Secular Democracy. This attack is by those who don’t think India belongs to all its citizens. But it does, to all Indians irrespective of which god they pray to (or don’t). #Emergency #SecularDemocracy https://t.co/WZlrZeI1kO
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) June 25, 2019