प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 जुलाई को पेश होने वाले केंद्रीय बजट से पहले शीर्ष अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ बैठक कर रहे हैं.
अर्थशास्त्री भी NITI Aayog में बैठक के दौरान प्रधान मंत्री के समक्ष अपना सुझाव दे सकते हैं.
भारत औद्योगिक और विनिर्माण उत्पादन संख्या में गिरावट के कारण आर्थिक विकास में गिरावट का सामना कर रहा है, ऑटोमोबाइल की बिक्री कम होते जा रही है और घरेलू तेल की खपत भी कम हो गई है.कृषि संकट और बेरोजगारी कुछ अन्य चुनौतियां हैं, जिनसे सरकार को व्यापक रूप से इस बजट में नीतिगत पहल उठाने होंगे.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा रखी गई अपेक्षाओं से भी सरकार को अवगत कराया गया.
तमिलनाडु, जो जल संकट से जूझ रहा है, सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सिंचाई संरचनाओं को बढ़ाने के लिए 1,000 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की मांग कर रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार केरल ने अधिक केंद्रीय ऋण मांगा है.
दिल्ली सरकार की मांग है कि केंद्रीय करों में उसका हिस्सा वर्तमान में 325 करोड़ से बढ़ा कर कम 6,000 करोड़ रुपये तक कर देना चाहिए. केजरीवाल सरकार भी सामान्य केंद्रीय सहायता चाहती है, जिसे संशोधित बजट में बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपये किया जाना है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने PM किसान योजना के आवंटन में सालाना 6,000 रुपये से लेकर 12,000 रुपये सालाना की बढ़ोतरी की मांग की है, जबकि गोवा ने उच्च ग्रेड लौह अयस्क के लिए निर्यात शुल्क में छूट के साथ एक विशेष खनन सहायता पैकेज की मांग की है.