दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश हिंदुस्तान में चुनाव के जरिए ही सरकारें बनती है और देश की जनता जिसे चुनती है उन्हीं के हाथों में सत्ता की बागडोर होती है। आमतौर पर चुनाव के तौर तरीकों के बारे में आप ज़रुर जानते होंगे। हमारे देश में पंचायत चुनाव से लेकर राष्ट्रपति पद तक के लिए चुनाव होता है। लेकिन विधान परिषद, राज्यसभा, उप-राष्ट्रपति और राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव की प्रक्रिया विधानसभा या लोकसभा की चुनाव प्रक्रिया से कुछ अलग ही होता है। आइए जानते है राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया की बारिकियों के बारे में।
क्या है राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया?
राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव एक निर्वाचक मंडल के जरिए कराया जाता है। इसमें राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों के साथ साथ देश की सभी विधानसभाओं के सदस्य भी शामिल होते हैं। भारतीय निर्वाचन आयोग यानी चुनाव आयोग इस निर्वाचक मंडल का संचालन करता है। सभी राज्यों की जनसंख्या के आधार पर से वहां के विधायकों के वोट का मूल्य तय किया जाता है। जनसख्या के अनुपात के लिए भी एक फॉर्मूला निर्धारित है। इसमें हर विधानसभा सदस्य और फिर राज्य के सभी विधायकों का कुल वोट मूल्य तय किया जाता है।
विधानसभा सदस्य के वोट का मूल्य
उदाहरण के तौर पर आंध्र प्रदेश राज्य की कुल आबादी 43502708 (1971 के जनगणना के अनुसार) है। यहां विधानसभा की कुल सदस्य संख्या294 है। अब प्रत्येक विधानसभा सदस्य के मत का मूल्य निर्धारण करने के लिए कुल सीटों की संख्या को एक हजार से गुणा करके कुल आबादी से भाग किया जाता है।
यानि 43502708/294 गुणा 1000 = 147.96 या 148 । इसका निष्कर्ष निकलता है कि आंध्र प्रदेश के एक विधायक के मत का मूल्य 148 है। अब राज्य के सभी विधायकों का कुल वोट मूल्य निर्धारित करने के लिए इसमें विधानसभा की सभी सीटों का गुणा कर दिया जाता है। जैसे 294 गुणा 148=43512 यानी आंध्र प्रदेश की सभी सीटो का मूल्य हुआ 43512 । इसी फॉर्मूले के आधार पर कहा जाएगा कि भारत की सभी विधानसभा सीटों का कुल मूल्य 549474 है।
संसद सदस्यों के वोट का मूल्य
नियम के अनुसार विधानसभाओं, राज्यसभा और लोकसभा में नामित सदस्यों को चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं है। भारतीय संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा के 233 और लोकसभा निचली सदन के 543 सांसद राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेते हैं। इस तरह लोकसभा के दोनों सदनों के कुल सदस्यों की संख्या 543 +233 = 776 हुई। इस संख्या का विधानसभाओं के कुल मूल्य यानी 549474 में भाग कर दिया जाता है। ताकि प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य तय किया जा सके। उदाहरण के तौर पर 549474/776 = 708 । यानी इस फॉर्मूले के अनुसार प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य 708 है। अगर इसे सांसदों की संख्या से गुणा कर दिया जाए 708 गुणा 776 तो सांसद के कुल वोटों की संख्या का मूल्य निकलता है549408 ।
निर्वाचक मंडल
अब राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल के सभी वोटों का मू्ल्य निर्धारित किया जाता है। इसके लिए विधानसभा के कुल वोटों को संसद के कुल वोटों से जोड़ दिया जाता है। यानी 549474 + 549408 = 1098882 हुआ। इसका मतलब यह हुआ कि भारत के राष्ट्रपति का चुनाव जिस निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाएगा उसके वोट का मूल्य 1098882 है।
सेकेंडरी मत
राष्ट्रपति के चुनाव में ऐसी व्यवस्था है कि जिस उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिलेगा, उसे मुकाबले से बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन ऐसी स्थिति में हारे हुए प्रत्याशी के वोट दूसरे उम्मीदवार को मिलेंगे। हारे हुए प्रत्याशी के पहले स्तर के वोट तो रद्द होंगे लेकिन दूसरे स्तरीय वोट उससे ऊपर चल रहे उम्मीदवार के खाते में सेकेंडरी वोट के रुप में जाएंगे। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी जब तक किसी एक उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिल जाता है।