भारत और चीन के संबंधों के उतार चढाव हमेशा नज़र आते हैं, लेकिन अब चीन भारत के झारखंड राज्य में विकास के लिए अपना सहयोग देना चाहता हैं. चीन के प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड के मुख्य सचिव Dr. D.K Tiwari से मुलाकात की और झारखंड के विकास में अपना सहयोग और साझेदारी देने की इच्छा प्रकट की हैं.
मुख्य सचिव Dr. D.K Tiwari से उनके ऑफिस में चीनी प्रतिनिधिमंडल ने बातचीत के दौरान कहा कि, झारखंड में शहर के विकास लिए, फ़ूड प्रोसेसिंग, उच्च विकास, जैविक खेती और सौर ऊर्जा जैसे आदि क्षेत्रों में आपसी सहयोग के साथ ही आगे बढ़ा जा सकता है.
आखिर क्यों चीन झारखंड को सहयोग देना चाहता है?
चीन और भारत दोनों ही घनी आबादी वाले देश हैं. ऐसे में चीन झारखंड को सहयोग क्यों देना चाहता है यह बात अभी तक साफ़ नहीं हुई हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ चीन एक ऐसा देश है जो हमेशा प्रॉफिट के लिए अन्य देशों के साथ अपना हाथ बढ़ाता हैं. इसलिए संभावना है कि अगर चीन झारखंड के साथ सहयोग और साझेदारी की प्रक्रिया अपनाता है तो चीन को भी लाभ होगा.
दिल्ली विश्वविद्यालय की अध्यापक डॉ. प्रकाश उप्रेती ने कहा कि, अगर मुख्य सचिव Dr. D.K Tiwari से चीनी प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड के विकास में सहयोग करने के साथ-साथ साझेदारी की इच्छा जताई है और जहां सांझेदारी होगी, वहां ‘प्रॉफिट’ भी जरुर जुड़ा होगा. मीडिया और विदेश नीति से जुड़े मुद्दों पर शोध कर रहे, शोधकर्ता निरंजन कुमार का भी यही कहना है कि चीन, बिना अपने फायदे के कहीं पर भी रुचि नहीं दिखाता हैं.
चीनी प्रतिनिधिमंडल द्वारा सहयोग व साझेदारी की प्रक्रिया को लेकर जब लोगों की नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली तो चीनी प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वर्तमान समय में चीन और भारत के संबंध अच्छे हैं. मुख्यमंत्री रघुवर दास और मुख्य सचिव ने चीन के दौरे के दौरान वहां की शहरी विकास प्रणाली देखी थी. इसलिए हमारी उम्मीद हैं कि हम झारखंड में शहरी विकास के लिए सहयोग का दायरा बढ़ाएं.
भाषा के जरिए चीन, नेपाल में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है. नेपाल में चीनी भाषा (Mandarin) हमेशा से ही सिखाई जाती थी, लेकिन अब इसे नेपाल के कई स्कूलों में अनिवार्य कर दिया गया है.