विप्रो में एक युग का अंत होने जा रहा है. अजीम प्रेमजी ने अपने पिता कि 1945 के कुकिंग ऑयल कंपनी को 25 बिलियन डॉलर (1.8 लाख करोड़ रुपये) की वैश्विक IT पावरहाउस WIPRO के रूप में बदल डाला. अज़ीम प्रेमजी अगले महीने (जुलाई) में एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में रिटायर होंगे. प्रेमजी ने लगभग 53 वर्षों तक WIPRO का नेतृत्व किया है. वह 24 जुलाई को 74 साल के हो जाएंगे, 1966 में अपने पिता की मृत्यु के बाद कंपनी की कमान संभाला था.
जानिए अज़ीम प्रेमजी को भारत का बिल गेट्स क्यों कहा जाता है ?
अजीम प्रेमजी वर्तमान में भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति (मुकेश अंबानी के बाद) हैं। फोर्ब्स बिलियनेयर्स 2019 सूची के अनुसार, उनकी संपत्ति $ 22.6 बिलियन है. विप्रो में प्रेमजी परिवार के 74.3% शेयर हैं.
अज़ीम प्रेमजी को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से बाहर निकाल दिया गया था
- 1966 में अपने पिता के आकस्मिक निधन के बाद कॉलेज का एक सेमेस्टर रहते ही वो भारत लौट गए थे और फिर अपने पिता की कंपनी वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट्स में शामिल हो गए.
- प्रेमजी ने लगभग 10 साल पहले इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीएसई की डिग्री हासिल की.
- प्रेमजी ने विप्रो के 67% शेयर चैरिटी के लिए गिरवी रखा है.
- इस वर्ष मार्च में, प्रेमजी ने अपनी परोपकारी प्रतिबद्धता में 52,750 करोड़ रुपये की वृद्धि की घोषणा की, जिसमें कुल प्रतिबद्धता 145,000 करोड़ रुपये (विप्रो के शेयरों का 67%) थी.
प्रेमजी देश के पहले ऐसे भारतीय हैं, जिन्होंने अपनी संपत्ति का 50% दान किया है.
अजीम प्रेमजी फाउंडेशन – दुनिया की सबसे बड़ी NGO में से एक है. प्रेमजी ने इस गैर-लाभकारी संगठन की शुरुआत वर्ष 2001 में की थी, उन्होंने अब तक 21 बिलियन डॉलर फाउंडेशन को दान किए हैं.
प्रेमजी स्वर्गीय JRD TATA को अपना आइकॉन मानते हैं.
उन्होंने एक लेख में लिखा है कि मैं वास्तव में उनका प्रशंसक हूँ. उनमें बिज़नेस प्रबंधन की क्षमता कमल की थी. दूसरी बात जो उनकी खास थी वो है “गुणवत्ता के साथ उनका जुनून.”
बिल गेट्स थे अजीम प्रेमजी से प्रेरित
इस साल की शुरुआत में, माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति ने एक ट्वीट में प्रेमजी की प्रशंसा की और कहा कि वह उनसे प्रेरित हैं.
बिल गेट्स ने ट्वीट किया, “मैं अजीम प्रेमजी के मानव प्रेम से बहुत प्रभावित हूँ. उनके नवीनतम योगदान से जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा।”
1977 में WIPRO को इसका नाम मिला
1977 में, प्रेमजी ने ‘वेस्टर्न इंडियन वेजीटेबल प्रोडक्ट्स’ कंपनी का नाम बदलकर विप्रो कर दिया. उन्होंने 1977 में कंप्यूटरों में उद्यम किया, लगभग उसी समय जब IBM ने भारतीय बाजार छोड़ा था. विप्रो ने 1982 में आईटी सेवा व्यवसाय में प्रवेश किया था.
प्रेमजी विप्रो बोर्ड में अपनी सेवाएं देते रहेंगे
प्रेमजी गैर-कार्यकारी निदेशक और संस्थापक अध्यक्ष के रूप में विप्रो बोर्ड का हिस्सा बने रहेंगे। वह $ 2 बिलियन की इकाई विप्रो एंटरप्राइजेज के अध्यक्ष भी रहेंगे, जो FMCG (संतूर साबुन और स्मार्टलाइट बल्ब जैसे उत्पादों), और बुनियादी ढांचा इंजीनियरिंग जैसे प्रोडक्ट पर काम करती है. वह चिकित्सा उपकरणों के संयुक्त उद्यम, Wipro-GE हेल्थकेयर के बोर्ड की अध्यक्षता भी जारी रखेंगे.