सहरसा में अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन का हुआ कार्यक्रम, कई मिथिला विभूति हुए सम्मानित।
सहरसा :- अंतर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन में मिथिला विभूतियों को सम्मानित किया गया और मैथिली भाषा के महत्व पर चर्चा की गई। सम्मेलन में मांग की गई कि मैथिली भाषा को प्राथमिक शिक्षा में शामिल किया जाए और बीपीएससी परीक्षा में वैकल्पिक विषय के रूप में पुनः शामिल किया जाए।
इस अवसर पर बैधनाथ झा बैजू और डॉ. कुलानंद झा ने कहा कि मैथिली भाषा को अष्टम अनुसूची में शामिल करने के बावजूद राज्य सरकार इसके प्रति उदासीन है। केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा फार्मूला के तहत मातृभाषा में प्राथमिक से उच्च शिक्षा का निर्देश दिया गया है, लेकिन इस पर कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मांग किया कि मैथिली भाषा को प्राथमिक शिक्षा में शामिल करना। बीपीएससी परीक्षा में मैथिली को वैकल्पिक विषय के रूप में पुनः शामिल करना। मिथिला राज्य के लिए एकजुट होकर लड़ाई लड़ना।
प्राथमिक शिक्षा हमारे समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह हमें सोचने और समस्याओं का समाधान करने की क्षमता प्रदान करती है। प्राथमिक शिक्षा में नैतिक मूल्यों, ज्ञान, स्वास्थ्य और जीवन शैली का विकास होता है, जो हमें समाज में सक्रिय भूमिका निभाने में मदद करता है।


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