विलुप्त हो रहे चेता गीतों को बचाने में लगे ग्रामीण।
लोक धुनों पर आधारित विलुप्त हो रहे हैं चैता का ग्रामीण क्षेत्रों में जोर शोर से हो रहा आगाज --
लोग धुनों पर आधारित चैता गायन का आगाज एक बार पुनः ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है ।सामवेत स्वर में गाए जाने वाले इस चैता गायन की परंपरा अब ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग विलुप्त होती जा रही है जिसे लोग मिलजुल कर एक माह तक मंडली के रूप में गाते थे। परंपरागत रूप से एक दशक पूर्व इस कार्यक्रम की धमक पूरे ग्रामीण क्षेत्रों में थी ।हर गांव के लोग बढ़ चढ़कर इसमें हिस्सा लेते थे। यंहा तक गांव स्तरीय कीर्तन मंडली के बीच प्रतियोगिता आयोजित होती थी।लेकिन आधुनिकता के रंग में रंगे लोगों पर अब इसकी खुमारी नहीं देखी जा रही है ।जबकि एक बार फिर से युवाओं द्वारा इस कार्यक्रम को पुनर्स्थापित करने की कोशिश की जा रही है।
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